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मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण जानकारी // Madhya Pradesh sampurn jankari

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  मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण जानकारी // Madhya Pradesh sampurn jankari हेलो दोस्तों स्वागत है आज की नई पोस्ट में आज आपको बताने वाले मध्यप्रदेश की बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां जिसमें आपको सामान्य ज्ञान की जानकारी मिलने वाली तो हमारी पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें और अच्छी लगे तो दूसरों को शेयर जरूर करें धन्यवाद। Table of contents मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण जानकारी // Madhya Pradesh sampurn jankari मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण जानकारी मध्य प्रदेश का इतिहास मध्य प्रदेश का पुराना नाम क्या था? मध्य प्रदेश की पुरानी राजधानी क्या है? मध्य प्रदेश के बारे में कुछ जानकारी मध्यप्रदेश की प्रमुख विशेषता क्या है? एमपी की खोज कब हुई? मध्य प्रदेश का प्राचीन नाम क्या है? मध्य प्रदेश में कितने राज्य हैं? मध्य प्रदेश का प्रथम जिला कौन सा है? मध्य प्रदेश का पुराना नाम की बात करें तो इसे पहले मध्य भारत के नाम से भी जाना जाता था। आजादी के बाद 1 नवम्बर सन 1950 ईस्वी में मध्यप्रदेश राज्य का गठन हुआ। मध्य प्रदेश में जनजाति जनसंख्या का सर्वाधिक संकेंद्रण प्रतिशत की दृष्टि से झाबुआ में है। ० मध्य प्रदेश में जनजाति जनसंख्य

स्वर्ग और नर्क पर निबंध// heaven and Hell

स्वर्ग और नर्क पर निबंध //  heaven and Hell  श्री हरिः मनुष्य स्वर्ग और नर्क दोनों कर्म के अनुसार मिलता है। 🌸 पापका फल भोगना ही पड़ता है 🌸 मनुष्यको ऐसी शंका नहीं करनी चाहिये कि मेरा पाप तो कम था पर दण्ड अधिक भोगना पड़ा अथवा मैंने पाप तो किया नहीं पर दण्ड मुझे मिल गया! कारण कि यह सर्वज्ञ, सर्वसुहृद्, सर्वसमर्थ भगवान‍्का विधान है कि पापसे अधिक दण्ड कोई नहीं भोगता और जो दण्ड मिलता है, वह किसी-न-किसी पापका ही फल होता है। एक सुनी हुई घटना है। किसी गाँवमें एक सज्जन रहते थे। उनके घरके सामने एक सुनारका घर था। सुनारके पास सोना आता रहता था और वह गढ़कर देता रहता था। ऐसे वह पैसे कमाता था। एक दिन उसके पास अधिक सोना जमा हो गया। रात्रिमें पहरा लगानेवाले सिपाहीको इस बातका पता लग गया। उस पहरेदारने रात्रिमें उस सुनारको मार दिया और जिस बक्सेमें सोना था, उसे उठाकर चल दिया। इसी बीच सामने रहनेवाले सज्जन लघुशंकाके लिये उठकर बाहर आये। उन्होंने पहरेदारको पकड़ लिया कि तू इस बक्सेको कैसे ले जा रहा है? तो पहरेदारने कहा—‘तू चुप रह, हल्ला मत कर। इसमेंसे कुछ तू ले ले और कुछ मैं ले लूँ।’ सज्जन बोले—‘मैं कैसे ले लूँ

जल ही जीवन है पर निबंध//jal hi jivan hai per nibandh

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  जल ही जीवन है पर निबंध//jal hi jivan hai per nibandh नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप लोगों बताएंगे जल ही जीवन है पर निबंध, जल के महत्व पर 10 लाइन हिंदी में, सभी की जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से दी जाएगी तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। और अपने दोस्तों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। 10 lines on importance of water in Hindi 1-हमारा शरीर का 70% भाग जल पानी से बना है। 2-जल ही हमारा जीवन है। 3-बिना मीठा पानी पिए हम 1 दिन भी जीवित नहीं रह सकते। 4-जानवर तथा पेड़ पौधों को भी जल की आवश्यकता होती है। 5-जैसे कि खारा पानी अनेक प्राणियों का जीवन स्रोत है उसी प्रकार मीठे पानी भी अनेक प्राणियों का घर होता है। 6-पेड़ों से ही हमें ऑक्सीजन फल अनाज फूल लकड़ी चावल गेहूं प्राप्त होता है। इसलिए पेड़ों के लिए भी जल आवश्यक है। 7-समय पर बरसा ना होने से हमें अकाल का सामना करना पड़ता है। 8-मीठे जल का स्रोत सीमित है इसलिए जल संरक्षण अति आवश्यक है। 9-जल के बिना मानव जीवन असंभव है। 10-फसल नहीं तो खाद्य पदार्थ भी संभव नहीं। पानी का हमारे जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है। इसलिए इसे बर्बाद होने से बचाना भी हमारा

रानी लक्ष्मीबाई झांसी की रानी अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष और इतिहास की कहानी।

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  रानी लक्ष्मीबाई झांसी की रानी अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष और इतिहास की कहानी। रानी लक्ष्मीबाई झांसी की रानी अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष और इतिहास की कहानी। रानी लक्ष्मीबाई झांसी की रानी अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष और इतिहास की कहानी हेलो दोस्तों स्वागत है आज की नई पोस्ट में आज आपको बताने वाले हैं हमारे भारत की सबसे वीरांगना और सबसे खूंखार भारत की पहली स्वतंत्रता संग्राम सेनानी झांसी की रानी (मणिकर्णिका) साहस और सूज भुज के कारण याद याद किया जाता है। उन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए 1857 के विद्रोह में क्रांतिकारियों का साथ दिया और अंग्रेजो के खिलाफ बहुत बहादुरी से मुकाबला किया। 19 नवंबर को उनका जन्मदिन था। आइए जानते हैं इस अदम्य साहसी वीरांगना के विषय में। प्रस्तावना झांसी की रानी का जन्म 19 नवंबर 1835 काशी (वाराणसी ) भारत में हुआ था उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। लक्ष्मी बाई के बचपन का नाम मणिकर्णिका था। उन्हें प्यार से मनु कह कर पुकारा जाता था, बचपन में ही मनु की माता का देहांत हो गया था। मनु के पिता बिठूर के पेशवा साहब के यहां काम करते थे। पेशवा साहब ने मनु को अपनी बेटी की त

वीरांगना रानी अवंतिबाई//virangana Avanti Ba

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वीरांगना रानी अवंतिबाई//virangana Avanti Bai वीरांगना रानी अवंतिबाई//virangana Avanti Bai हमारे भारत देश में ऐसी बहुत सी वीरांगना हुई है जिन की कहानी सुन सुन के अच्छे-अच्छे वीर के रगों में खून उबलने लगता है उनमें से एक वीरांगना रानी अवंतिबाई की कहानी बताने जा रहा हूं उनका जीवन परिचय और महत्वपूर्ण जानकारी चाहिए शुरू कर दें और हमारी पोस्ट को पूरा पढ़ें। जीवन परिचय रानी अवंतिबाई लोधी जी का जन्म 16 अगस्त 1831 को हुआ था, भारतीय राजपूत रानी शासक और स्वतंत्रता सेनानी थी। वह मध्यप्रदेश में रामगढ़ (अब डिंडोरी) की रानी थी। 18 57 के भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की एक विद्रोही के तहत उनके बारे में जानकारी कम है और लोक कथाओं में गाथाएं मिलती है। जन्म स्थल ग्राम मनकेड़ी, जिला सिवनी मध्य प्रदेश मृत्यु स्थल: देवहारगढ़, मध्य प्रदेश आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम रानी अवंतिबाई मध्य भारत के रामगढ़ की रानी थी, 18 57 की क्रांति में ब्रिटिश के खिलाफ साहस भरे अंदाज से लड़ने और ब्रिटिश ओ की नाक में दम कर देने के लिए उन्हें याद किया जाता है, उन्होंने अपनी मातृभूमि पर देश की आजादी के लिए

महाराणा प्रताप का इतिहास//Maharana Pratap ka itihaas

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महाराणा प्रताप का इतिहास//Maharana Pratap ka itihaas महाराणा प्रताप का इतिहास//Maharana Pratap ka itihaas हेलो दोस्तों स्वागत है आज की नहीं पोस्ट में आज आपको बताने वाले हैं सिसोदिया वंश के महाराणा प्रताप के इतिहास की बात जो ना आपने कहीं फनी और ना देगी अनहोनी कहानी जो आज आपको बताने वाले हैं। महाराणा प्रताप का इतिहास महाराणा प्रताप तथा अकबर हल्दीघाटी का युद्ध दिवेर का युद्ध महत्वपूर्ण तथ्य महाराणा प्रताप 1572 से 1597 ई . तक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ दुर्ग में स्थित कटारगढ़ के बादल महल में हुआ था। महाराणा प्रताप को मेवाड़ केसरी कहा जाता है। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका पहाड़ी बचा के नाम से जाना जाता था। महाराणा प्रताप के पिता का नाम महाराणा उदयसिंह तथा माता का नाम जयवंता बाई पाली के सोनगरा अखेराज की पुत्री थी। अजमादे पंवार, महाराणा प्रताप की पत्नी थी। उदय सिंह ने अपनी जेष्ठ पुत्र महाराणा प्रताप के स्थान पर धीर बाई के पुत्र जगमाल को अपना उत्तराधिकारी बनाया, लेकिन सोनगरा अखैराज व ग्वालियर के रामसिंह ने इसका विरोध किया तथा 1 मार्च 1572 को उदयपुर के गोगुंदा म

Prathvi pal ji gill | पृथ्वीपाल सिंह का निधन

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 Prathvi pal ji gill | पृथ्वीपाल सिंह  का निधन द्वितीय विश्वयुद्ध और तीनों सेनाओं में शौर्य दिखाने वाले पूर्व कर्नल पृथीपाल सिंह का रविवार दोपहर को निधन हो गया उनके अंतिम संस्कार के दौरान वेस्टर्न कमांड के सैन्य अफसर भी मौजूद रहे उनके बेटे अजय पाल सिंह ने बताया कि उनके पिता ने बेहद शानदार और सम्मान के साथ जीवन जिया जीवन के अंतिम दिनों में वह स्वस्थ थे 11 दिसंबर को उनको 101 वा जन्मदिन था पृथ्वीपाल सिंह ने देश की स्वतंत्रता से पहले 1942 में रॉयल इंडियन एयर फोर्स को बतौर पायलट जॉइन किया था। कर्नल  सिंह के बारे में कहा जाता है कि परिवार से पूछे बिना ही वह अंग्रेजी हुकूमत में रॉयल इंडियन एयर फोर्स में शामिल हो गए थे जिसके बाद उन्हें कराची में तैनात पायलट अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया था बता दें कि कर्नल पथरी पाल सिंह गिल हॉवर्ड एयरक्राफ्ट उड़ाया करते थे।